और कुछ देर मुझे पास बिठाये रखिये

उर्मिलेश शंखधर-

 

और कुछ देर मुझे पास बिठाये रखिये

ज़िन्दगी जीने का माहौल बनाये रखिये,

बात होठों से जो निकलेगी तो सब सुन लेंगे

आंखों-आंखों में ही बातों को सुनाये रखिये,

वक़्त का किसको भरोसा है कहां ले जाये

आज की रात मेरा साथ निभाये रखिये,

कितने नफ़रत के अंधेरे हैं अभी धरती पर

इक न इक शम्आ मुहब्बत की जलाये रखिये,

आइना ख़ाक बतायेगा तुम्हें राज की बात

मेरी तस्वीर को आइना बनाये रखिये,

मैं भी इक फूल हूं ख़ुशबू ही लुटाउंगा तुम्हें

अपने गुलशन में मुझको भी सजाये रखिये।।

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