जिंदा वापस आने पर चन्नी का धन्यवाद अदा किया मोदी जी ने

शराफत हुसैन सिद्दीकी

वैसे तो मोदी जी अनगिनत हत्याओं के दोषी करार होंगे। अभी पिछले साल 2021 में लगभग 7:30 सौ किसानों की हत्या मोदी जी की हठधर्मिता और जिद्दी पल की ही वजह से हुई थी। मौसम की क्रूरता सर्दी गर्मी बरसात के चपेट में आकर लगभग 700 किसानों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा था। यह वही मोदी है जब उनके ही गवर्नर उनसे किसानों के दर्द को बांटने की बात करने मोदी जी के पास जाते हैं तो वह बड़े संघ दिल्ली से कहते हैं कि क्या किसान हमारे लिए मर रहे हैं। अफसोस होता है ऐसे जिम्मेदार को जब अपनी वेल्स में धारी का सबूत दे कर कुछ ना कुछ गलत बोल जाता है आखिर मोदी जी को इन शहीद हुए साडे 700 किसानों ने भी वोट दिया होगा क्योंकि तब गुजरात मॉडल सबके सर चढ़कर जबरन बोल रहा था सच है यह देश अगर पढ़े लिखे लोगों का होता तो शायद गुजरात का मॉडल हमें सही नजर आया होता और हम इन्हें अपना भाग्य विधाता नहीं बनाए होते और तब हमारे बेवकूफ सूर किसान 7:30 सौ की शहादत नहीं हुई होती। मोदी जी पुलवामा में भी लगभग 45 जवानों की शहादत के कसूरवार माने जा रहे हैं ऐसा लोग कहते दिख रहे हैं और यह वही मोदी हैं जिन्होंने उन शहीद हुए जवानों के नाम पर वोट की भीख उनके परिजनों से उनके हमदर्द और रिश्तेदारों और दोस्तों से मांगने की अपील की थी।

गुजरात मॉडल आखिर क्या था जिसको हम बिना देखे सुन कर के ही मोदी जी को अपना हीरो मान बैठे हालांकि मोदी जी झूठ बोलने में भी कमाल का हुनर रखते हैं लेकिन एक बार पत्रकार के सामने उन्होंने सच बात को बोल दिया था और कहा था कि हम कुछ ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं हम तो सिर्फ हाई स्कूल बड़ी मुश्किल से पढ़कर और समाज सेवा की कामों में लग हालांकि बाद में उनके पढ़े लिखे होने का चर्चा अखबारों टीवी और चौपालों में लगातार होने लगा जिससे मजबूरन आज होकर आज के गृहमंत्री जनाब अमित शाह जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मोदी जी के पढ़े लिखे होने का सर्टिफिकेट प्रेस वार्ता में दिखाने का नासिर साहब जताया बल्कि देश की जनता को यह बताने का भी कोशिश किया कि मोदी जी पढ़े लिखे और विद्वान भी हैं। खैर मोदी जी ने 2002 में गुजरात में जो नरसंहार का नंगा नाच भारत की सियासत ने बेलगाम होकर दरिंदगी का पूरा सबूत देते हुए हजार हजार उसूलों को कत्ल कर आया था शायद गुजरात मॉडल का यही वह नमूना पूरे देश के सामने लाना चाहते थे। हालांकि इस देश का बेजुबान मुसलमान खामोश लाचार की बेबसी और अपने मजनू माना अंदाज से खामोशी बनाए भारत के इतिहास को तेजी से बदलते हुए महसूस कर रहा था हालांकि देश का बहुसंख्यक तब का हमारा गैर मुस्लिम भाई बड़ी तादाद में भी मोदी जी के गुजरात मॉडल पर बेहद नाराज थे एमएस नाराज थे बल्कि उन्होंने भारतीय जनमानस को आगाह करने की कोशिश की थी और यही नहीं बल्कि हाईकोर्ट के बाबा कार जज साहिबा ने भी अंदेशा जाहिर कर के अपने बयान में कहा था कि मोदी जी को गुजरात से बाहर कोई बड़ी सियासी जिम्मेदारी देना देश और समाज के लिए सही साबित नहीं होगा हालांकि हमारे हिंदुत्ववादी सोच के लोग जो नागपुर से थीम चलती है आशीष के कर्मठ साथियों ने एकजुट होकर के नारा बुलंद किया अबकी बार मोदी सरकार।

नाग पुर के आरएसएस से निकली ये आवाज
शहर शहर कस्बे कस्बे होते हुए दूर दराज गांव तक इस नारे को पहुंचाया गया। जो डेमोक्रेसी मे कभी ऐसा नारा नहीं बोला जाता क्योंकि यानी जम्हूरियत में कभी व्यक्ति विशेष को हुकूमत नहीं मिला करती और ना ही उसकी सरकार होती है ज्यादा से ज्यादा आप पार्टी का स्लोगन देकर सरकार बनाने का प्लान बना सकते हैं। लेकिन 2014 में यह सब भारत के तारीख को देखने पर मजबूर होना पड़ा हमारी चुनावी जनसभा खामोश तमाशाई बनी बैठी रही हमारी मीडिया रात दिन हिना के गुण गाते रहे और देखते देखते एक नरसंहार के मुखिया को भारत सरकार की डेमोक्रेसी की बागडोर उसके हाथ में सौंप दी गई। अब जब हमारे पंजाब के किसान जोधा ओं ने आज के प्रधानंत्री का फिरोज पुर मे घिरा बन्दी कर उन्हे वापस होने पर मजबूर किया तो साहब को पसीना आगे। और मानो उनको अपनी मौत सामने दिखने लगी।तभी तो अपने हेलीकाप्टर तक पहुंचने पर उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को शुक्रिया अदा किया कि चलो हम जिÞंदा हेली पैड तक वापस आ गए। काश मोदी जी अन 750 किसानों की शहादत को भी अहमियत दिए होते तो आज उनके है लोग उनका इस तरह घिराओ नहीं करती। सच कहा है मोदी जी पेड़ बोए बबूल का तो आम कहां से पाए। ईवीएम के सहारे इलेक्शन तो जीत सकते हैं पर किसी का दिल नहीं जीत सकते हां देश के कुछ लोगों को साथ लेकर देश का माहौल गंगा जमुनी तहजीब को जरूर बिगाड़ सकते हैं और पिछले 7 साल में आपने इसके अलावा और कुछ भी नहीं किया।

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