मैं चोर नहीं हूँ

-विशाल श्रीवास्तव-

एक बार की बात है एक गाँव में शरद नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। वह सदैव दूसरों का भला सोचता रहता था। सभी गाँव वाले शरद से खुश रहते थे। जब भी कोई उसे मुसीबत में दिखाई देता वह उसकी मदद के लिए तैयार हो जाता,इसी प्रकार उसके दिन बीतते गये।

एक दिन की बात है, उसी गाँव में एक अजनबी रहने के लिए आया। वह स्वभाव से बहुत अच्छा था। गाँव के सभी लोग उसकी बात मानने लगे। धीरे- धीरे अजनबी ने गाँव वालों पर अपना विश्वास जमा लिया।

एक रात को उसी गाँव के एक घर में चोरी हो गई। लोग यही न समझ पाये कि चोर कौन है, तभी अचानक से वह अजनबी वहां पर आया और बोला, “क्या बात है,। अजनबी के इस प्रश्न पर एक आदमी बोला कि चोरी हो गई है। अजनबी बोला, “चोर कौन है, इस प्रश्न पर सभी लोग चुप हो गये। शरद की ओर इशारा करते हुए अजनबी ने कहा कि ये कौन है। कहीं यही तो चोर नहीं! इतना कहकर वह अजनबी वहां से चला गया। सभी गाँव वालों ने शरद पर ही शक किया और उसे पीटने लगे। मार खाते हुए शरद ने कहा कि आप सभी लोग मुझे क्यों पीट रहे हो, मैंने क्या कर दिया है जो आप सभी गाँव वाले मुझे इस तरह पीट रहे है। तभी एक गाँव वाला बोला कि तुम चोर हो, । शरद ने पूछा कि आप से यह किसने कहा। गाँव वाले अजनबी को खोजने लगे, लेकिन अजनबी वहां से भाग चुका था। गाँव वालों ने शरद को छोड़ दिया तब शरद ने कहा कि मैं चोर नहीं हूँ। मैं तो आप का ही भाई हूँ। तब गाँव वालों के सिर शर्म से झुक गये और शरद से माफी मांगने लगे।

 

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