लोनी में राशन के लिए लगती है अजीब लाइन

हाय! भिखारियों जैसा बना दिया हमें

अनवार अहमद नूर
नई दिल्ली , 08 जुलाई। दिल्ली से सटे हुए इलाके लोनी (उत्तर प्रदेश) में जाना हुआ। मोहन नगर- गाजियाबाद वाले मुख्य मार्ग पर जब सुबह 6 बजे के आसपास निकले, तो पाया कि अनेक लोग अपना रोज़गार जोड़ रहे थे जबकि कुछ दुकानें नहीं खुली थीं। मैंने देखा सड़क के किनारे गोल घेरे बने हुए हैं और उनमें थैला, कट्टे, जूते – चप्पल और पत्थर रखे हुए थे।
पास में ही कुछ महिलाएं- बच्चे बैठे हुए थे। मैं देखता चला गया काफी दूर जाने पर भी जब मेरी समझ में कुछ नहीं आया तो मैंने एक रेहड़ी वाले से पूछा कि भाई यह माजरा क्या है -? वह बोला राशन लेने वालों की कतार है मैंने पूछा कि राशन वाले की दुकान किधर है-? तो उसने और आगे की ओर इशारा कर दिया। मैं आगे की तरफ बढ़ा। कुछ दूरी पर मुझे राशन डीलर की दुकान नजर आई। वह बंद थी। कुछ लोग आगे लगने के लिए आपस में तकरार कर रहे थे। इनमें अधिकांश महिलाएं थीं। मैंने फोटो खींचा, तो वह चौंक गए और सतर्क हो गए। कई ने अपनी जेब में रखा मास्क निकालकर लगाया। मैंने पूछा राशन की दुकान कब खुलती है-? कहने लगे लगभग 9 बजे खुलेगी। उसके 1 घंटे बाद राशन बटेगा। उससे पहले वह टोकन भी बांटेगा। जिसके पास टोकन होगा।
उसे राशन मिलेगा, वरना नहीं मिलेगा। बिना टोकन वाले निराश वापस लौटेंगे और अगले दिन फिर राशन पाने की मशक्कत करते हुए लाइन में आकर लगेंगे। मैंने पूछा की लाइन में कब आकर लगते हो-? तो कहने लगे सुबह 4 बजे से ही निकल पड़ते हैं जो जैसे-जैसे आता रहता है वैसे वैसे अपना बोरी, कट्टा,थैला या जूते चप्पल तथा ईंट पत्थरों से दबा कर कोई कपड़ा  लाइन में लगाता रहता है। इनका कहना था कि हमारे अधिकांश कारोबार काम- काज लगभग खत्म से हो गए हैं इसलिए यहां लाइनों में लगना पड़ रहा है घंटों घंटों की कड़ी मशक्कत और कड़ी धूप गर्मी झेलने के बाद कुछ राशन मिलता है। और इस तरह हमें भिखारियों की तरह लाइनों में लगा दिया गया है। ऐसा दौर कभी नहीं देखा था।
Leave A Reply

Your email address will not be published.